Thursday, February 10, 2011

ख्वाब

काश कोई हमारे लिए होती
जो कुछ सहमी होती
जिसकी सांसो में गर्माहट होती
जिसकी पलके झुकी होती
जो हलके से मुस्कुराती फिर शर्माती
और वरमाला लेकर आती
मै उसके नैनो से घायल होता
उसमे ऐसी अदा होती
काश कोई हमारे लिए होती

3 comments:

  1. pareshan mat ho tumare liye bhi kahin na kahin koi to hogi sabr ka phal meetha hota hai

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  2. क्या लिख रहे हो क्यों लिख रहे हो मेरे भाई अब तो बड़े बन जाओ
    be serious सोचो ये कविता है या जो कुछ भी है इसे कोई क्यों पढ़ेगा कुछ कनेक्सन जोड़ो टब तो पाठक पढ़ेगा मुझे लगता है लेकिन तुमने लिखने की कोशिस की इसके लिए आभार
    और लिखो पर थोडा सोच कर

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  3. archit ji aakhir me vi bhi china mobile ki tarah fat jati!!

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