Sunday, March 27, 2011

लखनऊ नहीं जन्नत कहो

करीब 21 साल हो गए लखनऊ में रहते हुए अक्सर ही लखनऊ घूमा करता हू तकरीबन हर जगह घूम चूका हू लेकिन फिरभी कुछ अधुरा सा लगता है मै लखनऊ को जान तो गया पर अभी भी  कुछ कमी है क्योकि मै उसे महसूस नहीं कर पा रहा लखनऊ की अदा और नजाकत तो पता है लेकिन क्यों इसका कोई इल्म नहीं वैसे पुराने लखनऊ की खुसबू तो पूरी दुनिया में मशहूर है मै भी वही का बाशिंदा हू लेकिन आज लखनऊ को अपनी नजरो और बाइक के फराटो के बीच नहीं देख रहा बल्कि फ़रिश्ते की तरह हमारी जिंदगी में आये महान सख्स (नाम नहीं लूँगा)के आशीर्वाद से एक हरिटेज वाक का मौका मिला जिसके माध्यम से हमें लखनऊ  और उसकी तहज़ीब को एक अलग नजरिये से देखने का मौका मिल रहा है अभी तक लखनऊ में रहता हू इस बात की खुसी है पर अब गर्व करने का दिल करता है बस इन्ही उमीदो को अपने जहन में बसाकर लखनऊ को जीने के लिए बताये गए गंतव्य स्थान टीले वाली मस्जिद पर समय से पहुँच गया हू उत्सुकता और बेकरारी चरम पर है तभी गाइड साहब की आवाज आती है जो इस हरिटेज वाक के संचालक है हम सब व्याकुलता से उनकी ओर बढ़ते है वहा हमारे गाइड नवेद,आतिफ ओर इमरान साहब पहले से ही मौजूब है उनके आलावा भी एक सख्स वहा मौजूब है  जो टीले वाली मस्जिद की देखभाल करते है जिनकी उम्र  तकरीबन 90 साल है असलम साहब जिन्होंने अपनी बूढी आँखों से लखनऊ को जवान होते देखा है उनकी पिछली नस्लों ने भी अपनी पूरी जिंदगी हजरत इमाम  के लिए दे दी इसी बीच हमारे गाइड नावेद जी इस हरिटेज वाक और लखनऊ की खूबसूरती के बारे में बताना शुरू करते है तो मै आपको उनकी बताई गई बातो ओर लखनऊ की खूबसूरती को अपने अल्फाजो के माध्यम से आपके दिल तक पहुचाने की  कोशिस करता हू--------
तो जैसा की आप तस्वीरो में देख रहे है टीले वाली मस्जिद जो तकरीबन 200 साल पुरानी है ये मस्जिद सुन्नी भाइयो के लिए बहुत ही खास है यहाँ पर ईद  और अलविदा की बड़ी नमाज भी होती है इसकी नक्काशी ने हम सभी का दिल जीत लिया वैसे है तो ये एक मुस्लिम मस्जिद लेकिन इससे गंगा-जमुनी तहजीब की महक साफ़ झलकती है इस मस्जिद को मुग़ल और राजपूती नक्काशो ने मिलकर बनाया जिसमे शेषनाग  के फनो की तरह दरवाजो और झरोखों पर नक्काशी है वैसे लखनऊ  की बात करे तो ये दिबियापुर कोठी से लेकर मूसाबग पैलेस तक बसा है यहाँ मूसाबग में तो एक अंग्रेज  की ऐसी कब्र है जिसमे  आप सिगरेट जलाकर  रखे तो  वो खुद बा खुद स्मोके करने लगती है ये कब्र कर्नल साहब की है जो पूरे मूसाबग में मशहूर है लखनऊ की बात हो रही है
 तो गोमती नदी की बात होना लाजमी है पहले इस नदी को भानुमती के नाम से पुकारा जाता था फिर हमारे मुस्लिम भाइयो ने इसे घूमती का नाम दिया क्योकि ये पूरे सहर  में घूमती है जिसके किनारे पर लखनऊ बसा है बाद में इसका नाम गोमती हो गया गोमती के ऊपर बना लाल पुल भी अंग्रजो के ज़माने का है जिसमे छत्रीनुमा  गुम्बद बने है इसीलिए इसे छत्री वाला पुल भी कहते है वैसे इस पुल पर कई फिल्मो की भी शूटिंग हुई है 
पराने समय में टीले वाली मस्जिद और इमामबाड़े  के पीछे का रास्ता सिर्फ नवाबो के लिए था जो शाही रास्ता कहलाता था और आज जहा मेडिकल कॉलेज है वहा का रास्ता आम लोगो के लिए था वैसे जहा मेडिकल कॉलेज है पहले वहा एक मच्छी भवन हुआ करता था और वहा पर एक जूता लटका रहता था जो भी उसके नीचे से होकर नहीं गुजरता था उसका सेर कलम कर दिया जाता था फिर 1857 में किंग जोर्ज लखनऊ आये और अंग्रजो ने इसे हासिल कर लिया फिर इसका नाम किंग जोर्ज हुआ जो आगे चलकर किंग जोर्ज मेडिकल विश्वविध्याले  बना जिसका नाम मायावती सरकार में छत्रपति साहूजी महराज हो गया और अब आलम ये है की डॉक्टर कोर्ट में चले गए है इसके नाम के विवाद को सुलझाने के लिए अंग्रजो के समय इसी के सामने एक मशहूर त्रिपोली मार्केट भी हुआ करती थी 
अब क्या था लखनऊ  के बारे में इतना कुछ जानने के बाद जोश सातवे आसमान पर पहुच गया है अब हमें अपने गाइड साहब के साथ टीले वाली मस्जिद छोड़ दूसरे स्थान पर जाना है लेकिन उससे पहले लखनऊ के नाम एक शेर अर्ज करना चाहुंगा--------
खाके लखनऊ ऐ महल गुम्बदो मीनार नहीं
ये सहर  सिर्फ सहर नहीं कूच और बाजार नहीं 
इसके आँचल में मोहोब्बत के फूल खिलते है
इसकी गलियों में फरिश्तो के पत्ते मिलते है 
 अब हम सब अपने गाइड साहब के साथ इमामबाड़े  की ओर चल दिए  जिसका दीदार तो कई बार किया है लेकिन आज दोस्तों और हमारे गाइड नावेद और आतिफ जी के साथ इसको  जानने और इसकी अहमियत को समझने का मौका मिला ये इमामबाड़ा गारे और दाल का बना है जिसमे एक भी ईंट नहीं लगी ये नवाबो का महल हुआ करता था  इसी को भूल भुलैया भी कहते है यहाँ शिया समुदाय अपनी ईद और अलविदा की नमाज अदा करता है और मोहोर्रम में मजलिसे और मातम भी इसी इमामबाड़े में होते  है इस इमामबाड़े के बारे में मशहूर है की इसके नीचे इतना खजाना दफन है की भारत फिर से सोने की चिड़िया बन जाये लेकिन अंग्रेज हो या और कोई आज तक उस खजाने को नहीं ढूढ़ पाया इस इमामबाड़े में कई सुरंगे भी मौजूद है जिसका इस्तेमाल नवाब करते थे 
अब इमामबाड़े से होते हुए हम लखनऊ के चौक बाजार की और बढ़ने लगे तभी हमारे एक गाइड हाश्मी साहब ने हमें एक शेर सुनाया ------------
मर्द वो है जो मरदाना वार लड़ कर मरे
मरे जरूर मगर मोह से अकड़कर मरे 
न इक्के ताँगे से न हम्बद से लड़कर मरे
मरे पर तुम्हारी याद में एड़ी रगड़-रगद के मरे  
जिससे पता चल गया की लोग शायर  कैसे बन जाते है और मैखाने क्यों खली हो जाते है तो हम चौक बाजार पहुचे जहा बीच में हमें मशहूर फूल मंडी भी मिली जो अंग्रजो के ज़माने की है जहा रोज लगभग  10 लाख के फूल बिक जाते है अब हम चौक मार्केट पहुच गए जहा हम मशहूर राजा की ठंडाई की दुकान पर रुके सभी लोग बैठ गए और ठंडाई का आर्डर दे दिया गया कुछ ने भाँग मिलकर पिया तो कुछ ने सादी इसी बीच कुछ दोस्तों ने चौक के  पान का भी मजा ले लिया अभी तक लखनऊ के बारे में जितना जाना वो शुरुवात थी क्योकि ये हमारा इंटरवल  था असली पिक्चर अभी बाकी है मेरे दोस्त 
अब हम आगे बढे और हमने आनंदी देवी के दर्शन किये जहा एक महिला पुजारन है जो इस मंदिर की देखभाल करती है अब हम गोल दरवाजे से होते हुए चौक के उन सकरे और तंग रास्तो पर चल दिए जो अंग्रजो और नवाबो के कई राज अपने में दफन किये हुए है जो आज से पहले काफी बार वही से गुजरा पर मालूम नहीं कर पाया बस इसी उत्सुकता को दिल में लिए आगे चल दिया जहा हमारे गाइड साहब ने हमें नवाबो के ज़माने  के झरोखे दिखाए जहा नीचे दुकाने हुआ करती थी और ऊपर मुजरा और नाच होता था लेकिन इसका एक अच्छा पहलु भी था वो ये की ये नजाकत,तहजीब और  आदाब का प्रतीक बन गया था उमरावजान भी यही की थी जिनपर दो फिल्मे भी बन चुकी है 
इसके बाद हम करीब 200 साल पुराने कलीराम  जी के मंदिर गए जहा की मान्यता ये है कि यहाँ पर कुए से भगवन राम कि काले रंग  कि मूर्ती निकली थी जिसे हर रामनवमी के दिन लोगो के लिए रखा जाता है और इस मंदिर में एक औए खास बात है कि यहाँ भगवान् राम और लक्ष्मण जी के बीच में सीता जी विराजमान है और हम इस भव्य मंदिर के दर्शन करके फ़्रांसिसी मार्केट कि तरफ बढ़ दिए जो आज छिपिखाना  है जहा पहले फ़्रांसिसी लोग घोडा बेंचा करते थे पर आज वहा साड़ियो और कुर्तो में छपाई और रंगाई का काम होता है  जहा एक कुआ भी है जो फ़तेह अली खान कि याद में बनवाया गया था जिसपर अब कुछ दुकानदारो ने कब्ज़ा कर लिया है और उसपर दुकान खोल दी है बस थोडा गुस्सा आया पर हिन्दुस्तानी है हम इतना तो हक़ बनता ही है ये सोचकर हम आगे चल दिए 
हम अब मशहूर यूनानी अस्पताल पहुच गए जहा आज भी प्राकृतिक सामानों से ही दवाए तैयार की जाती है अब हम सब कुछ थकान महसूस करने लगे है तभी गाइड साहब हमें एक पुराने  घर ले गए---
  दरअसल ये घर ख्वाजा  मेनुदीन चिस्ती के परिवार के लोगो का है जहा हमें एक महिला बेगम नुसरत फातिमा मिली जिन्होंने हमें अपने परिवार और आजादी के वक़्त की कुर्बानियों की दास्तान सुनाई बस सारी थकावट वही दूर हो गई उन्होंने बताया की गाँधी जी दो बार लखनऊ आये और उन्ही के घर पर रुके साथ ही आजादी के वक़्त जितनी भी गुप्त मीटिंग होती थी वो उन्ही के घर के नीचे बने तैखाने में होती थी जिसमे पंडित जवाहर लाल नेहरु,लाला लाजपत राये के साथ और भी लोग शामिल होते थे वो आजादी के वक़्त की दासता उन्होंने खुद देखी है  और हमें  बताई जो एक अलग एहसास था बस वही थोडा पानी पिया और मंजिल की और आगे बढ़ दिए 
हम अब फूल वाली गली से होते हुए आगे बढ़ने लगे जहा हमने पुराने ज़माने के बने घर देखे जिसमे हर दरवाजे के ऊपर मछली बनी है जो स्वागत का प्रतीक है वहा पुराने ज़माने के दरवाजे और नक्काशी ने हमारा दिल जीत लिया बस अब हमारी इस हरिटेज वाक के  आखरी पड़ाव आ गए  हम मशहूर टुंडे कबाबी की दुकान पहुच गए कुछ खाया तो नहीं पर पूरे लखनऊ में मशहूर टुंडे की महक को महसूस जरूर किया अब इस आखरी पड़ाव से जाने का वक़्त आ गया तो सबसे हाँथ मिलाया और सब अपने अपने रास्तो पर आगे बढ़ गए लेकिन एक बात दावे के साथ कह सकता हू की आज का दिन  मेरी जिंदगी के उन चुनिन्दा यादगार दिनों में से एक है जिन्हें मै कभी नहीं भूल सकता तो उम्मीद है आपने भी मेरे साथ साथ लखनऊ को जिया होगा 



Friday, March 25, 2011

बैचलर्स लाइफ यानी फुल मस्ती

बैचलर्स   लाइफ यानी फुल मस्ती,मजा और जश्न .
अगर बैचलर्स लाइफ को एक लाइन में बयां  करे तो कह सकते है की "ठंडी में भी गर्मी का एहसास ,वो ठंडी में गर्मी का लिबाज "मतलब परिस्तिथिया कैसी भी हो मस्त रहना ही इनकी पहचान है वैसे तो हमारी जिंदगी में कई पड़ाव आते है और हम उनको पार करते हुए और  उससे कुछ सीखते हुए आगे बढ़ जाते है लेकिन जिंदगी के उन  आखरी लम्हों में जब हम जिंदगी को पीछे मुड़कर देखते है तो बैचलर्स लाइफ चेहरे पैर एक हसीन मुस्कान ले आती है और हम उन अतीत की सुहानी यादो में खो जाते है 
फिलहाल मै खुशनसीब हू कि मै अपनी जिंदगी के उस पड़ाव पर हू जिसकी यादो को मै जिंदगी भर नहीं  भूल पाउँगा मै इस वक़्त एक बैचलर हू और बैचलर्स लाइफ का लुफ्त उठा रहा हू इस लाइफ में मस्ती और रामांच के के साथ-साथ कामयाबी और कुछ कर गुजरने का जज्बा भी होता है जो जिंदगी को एक नई दिशा देता है 
बैचलर्स लाइफ यानि कॉलेज लाइफ,दोस्तों के साथ गप्पे,रोज की चाये फिर पैसे देने की कंजूसी ,हर मुश्किल में साथ खड़े होने को तैयार,और रोज कि बकवास सब याद आते है जब हम अपनी जिंदगी में इतना खो जाते है कि खुद के लिए भी समय नहीं निकाल पाते इस बैचलर्स लाइफ में सभी की जिंदगी में जो कॉमन  फैक्टर  होता है चाहे लड़का हो या  लड़की वो है प्यार,इश्क और मोहोब्बत सभी इसको जीना चाहते है  लेकिन कुछ परेशां है साथी होने से तो कुछ परेशां है अपने अधूरेपन से फिरभी हसते रहना और खुसी से जीना ही इन बैचलर्स की पहचान है हर बैचलर पर ये दो लाइने बखूबी बैठती है जिन्हें वो गुनगुनाया करते है -
                    "जिंदगी में एक रहगुजर की तलाश है 
                       बस तेरे दीदार की आस है
                       बाकि सब कुछ मेरे पास है"
वैसे पहले और आज के बैचलर्स में काफी कुछ बदल गया है मॉल,पब्स,डिशको और मल्टीप्लेक्स ने लोगो का नजरिया ही बदल दिया है बैचलर्स के लिए ये किसी जन्नत से कम नहीं है जहा वो मस्ती के साथ-साथ जिंदगी का लुफ्त भी उठाते है और ये पल उनको जिंदगी की जदोजहद से दूर कर एक नया जोश भरने में मदद करते है 
वैसे इंसान जिदगी में जो कुछ भी करता है वो पेट के लिए करता है और जीने के लिए जिस चीज की सबसे ज्यादा जरूरत होती है वो है खाना और इन बैचलर्स ने समय के साथ साथ अपने स्वाद को भी बदला है वो चाहे बर्गर  हो या पीजा या फिर चोकलेट्स ये  बैचलर्स की पहली पसंद बन गए है आज ढाबो और होटलों की जगह मक्डोनेल्स औए kfc ने ले ली है आज के बैचलर्स  में एक प्रचलन बहुत खास हो गया है वो अग्निपथ के अमिताब बच्चन के उस डायलाग को अपनी जिंदगी में उतार रहे है की" इस दुनिया में जिन्दा रहने के लिए बिगड़ा हुआ होना बहुत जरूरी है "सही भी है वरना ये दुनिया जीने नहीं देगी खाने नहीं देगी पीने नहीं देगी आज के बैचलर्स अपने फैसले खुद करते है और अपनी जिदगी को भी अपने तरीके से जीना सीख गए है 

Friday, March 18, 2011

होली हुड्दंग और शराब

     होली के दिन दिल खिल जाते है
     रंगों में रंग मिल जाते है
     गिले शिकवे भूल के दोस्तों 
     दुश्मन  भी गले मिल जाते है 


ये लाइने शायद होली और उसके शबाब को बयां करने के लिए माकूल है जब शोले में जावेद अख्तर ने ये  लाइने लिखी और किशोर  कुमार के इसे आवाज दी  तो होली के मायने ही बदल गए और लोग झूमने पर मजबूर हो गए 
होली रंगों,मस्ती और खुशहाली से भरा त्यौहार है लोग सब कुछ भूल कर एक ही रंग में रंग जाते है 
                             लेकिन शायद इस होली को किसी की नजर लग गई है अब ये रंगों और मस्ती का नहीं बल्कि हुड्दंग का त्यौहार बन गया है जो असली होली का मजा है वो फीका पड़ता जा रहा है होली के दिन आपको अक्सर ही शराब पीकर  लुढ़कते लोग दिख जायेगे देश में हुए सर्वे के अनुसार हर साल होली में हजारो लोग अपनी जान गवाते है देश के सभी अस्पतालों में हाए अलर्ट रहता है इसमें ज्यादातर दुर्घटनाये शराब पीकर गाड़ी चलने वालो की है लेकिन क्यों इस खुसी और रंगों के त्योहार में कुछ घरो का चिराग बुझ जाता है क्यों रंग के त्यौहार में भंग इतना मिल जाता है कि मातम और चीख की आवाज आम हो जाती है 

होली के दिन तो ऐसा लगता है जैसे देश के सारे शराबियो ने हरिवंश राये  बच्चन जी की मधुशाला पढ़ ली है  और  उनकी ये लाइने उनके मन में घर कर गई है 
एक बरस में एक बार ही ,जलती होली की ज्वाला 
दुनियावालो किन्तु किसी दिन,आ मदिरालय में देखो 
दिन को होली रात दिवाली,रोज मानती मधुशाला 
उस दिन तो ऐसा लगता है जैसे देश के शराबी पूरा मदिरालय ही पी जायेंगे  और सरकार को शराब से होने वाले रेवेन्यू को एक दिन में ही पूरा कर देंगे वो शराब के नशे में इतना डूब जाते है की बाकि सब उन्हें पराया लगता है और यही गुनगुनाते है कि------------
                       आज फिर से पी है शराब 
                       दिल को समझाने के लिए 
                       दिल पर मरहम लगाने के लिए
                       उसकी यादो में डूब जाने के लिए
                       सोचा था  उसके साथ ही जलाऊंगा होली की ज्वाला   
                       पर उस प्रियतमा ने तोडा है मेरा दिल
                      इसीलिए एक नई संगनी बनाई है
                      और बोतल के साथ होली में उसकी याद जलाई है   
                      
                     


Tuesday, March 8, 2011

एक और महिला दिवस लेकिन किसके लिए

8 मार्च एक ऐसा दिन जो महिलाओ को और ज्यादा खास होने का एहसास करता है 8 मार्च 1910 को अंतररास्ट्रीय महिला दिवस की सुरवात हुई जिसका मकसद समाज में महिलाओ को खास स्थान देना था वैसे   100 साल हो गए इस दिन को मानते हुए इन बीते 100 सालो  में बहुत कुछ बदल गया आज महिलाये हर छेत्र में  अपना कौशल दिखा रही है देश हो या विदेश हर जगह कामयाब है खेल हो या शिक्षा राजनीत हो या कॉर्पोरेट जगत हर जगह कामयाब है महिलाये, अगर बीते कुछ सालो  में कामयाब महिलाओ की बात करे तो कुछ  नाम जहन में आते है जैसे इन्द्रा गाँधी,मदर टेरेसा,सोनिया गाँधी,मायावती,सुषमा स्वराज,उमा भारती,वसुंधरा  राजे,चन्द्रा कोचर,इंदिरा नुई ,सावित्री जिंदल,लता मंगेशकर,सानिया मिर्ज़ा,सानिया नेहवाल,बचेंद्री पाल आदि है यहाँ तक की फ़ोर्ब्स की मैगजीन के अनुसार विश्व की सबसे सक्तिशाली महिलाओ में इंदिरा नुई और सोनिया गाँधी भी है 
कहते है की हर कामयाब आदमी के पीछे एक औरत का हाँथ होता है और ये सही भी है अगर हम बात करे शाहरुख  खान,आमिर खान,अनिल अम्बानी ,मुकेश अम्बानी,सचिन तेंदुलकर  की तो इनकी कामयाबी के  पीछे भी महिलाओ की अहम् भूमिका रही है जो हर अच्छे बुरे  वक़्त  में इनका साथ देती है 
ये तो महिलाओ  की कामयाबी का एक पहलू है जहा खुशिया ही खुशिया है लेकिन महिलाओ का एक तबका अभी भी तड़प,चीख और डर के साए में जी रहा  है  आज देश में महिलाये बिल्कुल भी  सुरक्षित नहीं है 
NCRB(NATIONAL CRIME RECORD BEREAU) के अनुसार देश में हर 25MIN में एक महिला के साथ बलात्कार होता है भारत में बलात्कार के मामलो में टॉप 7 राज्य मध्य  प्रदेश,वेस्ट बंगाल ,उत्तर प्रदेश,महाराष्ट्र,असम,राजेस्थानऔर बिहार है अगर आंकड़ो पर नजर डाले तो 2004 में 15,847 ,2005 में 18,233 ,2006 में 18,359 ,2007 में 20,737 ,2008 में 20,000 ,2009 में 21,397 बलात्कार के मामले पुलिस तक पहुचे जिनमे केवल 9 प्रतिशत केसेस में ही गुनेहगार को सजा मिल पाई सबसे चौकाने वाली बात यह थी की इन मामलो में 11 .5 प्रतिशत  केसेस 15 साल से कम उम्र की किशोरियों से जुड़े है  ये तो वो आंकड़े है जो अदालत तक पहुचे बाकि तो शायद डर और इज्जत की भेंट चढ़ जाते है 
      हम हमेशा ही अखबार पढ़ते है और बलात्कार  की खबरे भी रोज ही छपती है लेकिन हम चुप होकर सिर्फ पन्ना पलट देते है आज कविता हो या रुचिका ,दिव्या हो या शीलू या फिर प्रियदर्शनी जिनकी आप बीती को मीडिया का साथ मिला और बड़े बड़े नेता और समाज के ठेकेदार इन्हें सांत्वना देने पहुच गए लेकिन कुछ पल के बाद फिर सब कुछ सन्नाटे में बदल  गया 
आज महिला दिवस है और कल के अखबार में फिर एक खबर छपने वाली है कि दिल्ली   में राधिका तंवर नाम की लड़की की दिन दहाड़े गोली मारकर  हत्या  हो गई  जिस  राज्य की मुख्य  मंत्री  एक महिला हो  वहा  ही महिलाये  सुरक्षित  नहीं  है तो बाकि का तो भगवान   ही  मालिक  है अगर बात करे  उत्तर प्रदेश की तो दहेज़  उत्पीडन  की वजह  से सबसे ज्यादा  मौते  यही  हुई  है और शीलू के साथ जो हुआ  वो तो जग  जाहिर  है लेकिन इस  बार  शीलू को दरिंदगी  का शिकार  खुद  मुख्यमंत्री  के ही MLA(PURRUSHOTAM DVIVEDI) ने बनाया जिस राज्य में नेता ही राक्षस हो वहा के हाल कि कल्पना  ही कि जा सकती है 

   

Thursday, March 3, 2011

archit pandit: अभी तक की अपनी जिंदगी में कई इंटरव्यू  दखे हमेशा ...

archit pandit:
अभी तक की अपनी जिंदगी में कई इंटरव्यू दखे हमेशा ...
: "अभी तक की अपनी जिंदगी में कई इंटरव्यू दखे हमेशा से ये सोंचता रहा हू कि काश कभी मै भी किसी का इंटरव्यू लू और आज&nbsp..."

अभी तक की अपनी जिंदगी में कई इंटरव्यू  दखे हमेशा से ये  सोंचता रहा हू कि काश कभी  मै भी किसी का इंटरव्यू  लू और आज  मुकुल सर के आशिर्वाद से मुझे ये हसीन मौका मिला है  हमेशा से  सोचता रहा हू कि इंटरव्यू में कुछ खास नहीं होता बस कुछ सवाल ही तो पूछने होते है लेकिन जब अपनी बारी आई तब आंटे दाल का भाव पता चला 
वैसे  हमेशा इंटरव्यू ऐसे सख्श का लिया जाता है जो हमारा जाना पहचाना हो जिसकी अपनी एक हैसियत हो  लेकिन यहाँ कहानी उलटी है यहाँ सवाल पूछने वाला और बताने वाला दोनों ही नए चेहरे  है जाहिर है शुरवात  कहा से करे सबसे बड़ी दिक्कत यही रही है   और कौन सा सवाल पहले रखे और कौन सा बाद में ये उलझन भी  लेकिन मैंने पूरी कोशिस की है कि इस इंटरव्यू को यादगार बनाया जाये वैसे जब  मुझे पता चला कि   ये इंटरव्यू पत्रकारिता विभाग की सबसे   डेयेरिंग लड़की मनीषा त्रिपाठी से लेना है  तो  मै  थोडा नर्वस जरूर हुआ  लेकिन विश्वास था कि मै कर पाऊंगा 
और अब बात करते है इंटरव्यू की मनीषा त्रिपाठी नाम में ही वजन है ये किसी सेलेब्रिटी से कम नहीं है अक्सर देखा  होगा कि सेलेब्रिटी किसी भी शो या पार्टी में  थोडा देर से पहुचते है उनका हमेशा कहना होता है कि हिन्दुस्तान में देर  से पहुँचने वाले कि ही इज्जत होती है और लोग उनका बसब्री से इन्तेजार करते है वैसे ही मनीषा जी भी क्लास में देर से ही पहुचती है और सर हो या उनके मित्र उनके दीदार में  पलके बिछाये बैठे  रहते है  
तो अब मनीषा त्रिपाठी जी के साथ  सवालो का ये खूबसूरत कांरवा शुरू करते है --------------

1--आपका पहला स्कूल कौन सा था और कहा 
     मेरा पहला स्कूल जोधपुर में था उसका नाम little pearls था 
2--आपका बचपन कहा बीता और आपने अपनी पढाई कहा से पूरी की `
     मेरा बचपन जोधपुर में ही बीता मैंने वहां 4th standerd तक पढाई की फिर मै चेन्नई  गई और वह  5th- 8th standerd तक पढाई की उसके बाद मै पंजाब गई और 9th-12th standard तक पढाई की फिर मै लखनऊ    
     गई और आई टी कॉलेज से अपना ग्रेजुएसन  ख़त्म किया अभी लिविव से पत्रकारिता की शिक्षा ग्रहड़ कर रही हू    
      
3--आपके पिता जी क्या करते है 
    वो ex-airforce man है इसी वजह से मैंने अपनी स्कूलिंग अलग अलग जगहों से की क्योकि पापा का ट्रान्सफर हुआ करता था  
4--आपकी माता जी क्या करती है 
     वो साधारण घरेलू महिला है
5--आपके कितने भाई बहन है 
     मेरा दो भाई है और मै सबसे छोटी बहन हू 
6--आपने अपने बचपन से लेकर अभी तक कई सहर दखे आपको लखनऊ कैसा लगा 
     लखनऊ बेहद ही  खूबसूरत सहर है और यहाँ के लोग भी काफी दिलचस्प है 
7--आपने MJMC में प्रवेश क्यों लिया 
     मुझे बचपन से ही पत्रकारिता का काफी शौक रहा है और मुझे जब मौका मिला तो मै इसे खोना नहीं चाहती इसीलिए मैंने MJMC में प्रवेश लिया 
8--आपके सपने क्या है 
     वैसे तो कई सारे सपने है लेकिन उनमे से कुछ  सपने खास है -एक अच्छा पत्रकार बनाना या
     आर्मी ऑफिसर बनना  
9--लखनऊ विश्व विद्यालय के बार में आपकी क्या राए  है 
     ठीक है कम शब्दों  में कह सकते है कि मस्ती के साथ साथ पढाई का मीठा डोज
10-आपका IDEL कौन  है
     कोई एक सख्स का नाम नहीं बता सकती 
11-आपकी Hobbies क्या है
     ज्यादातर मैग्जीन पढ़ती हू  
12-किस खेल में आपकी सबसे ज्यादा रूचि है 
     टेबल टेनिस,बास्केट बॉल 
13-हमारे नेशनल गेम ह़ाकी  के बारे में कुछ कहना चाहेंगी
      ह़ा मुझे मिल्खा सिंह काफी पसंद है लेकिन क्रिकेट के मुकाबले इसे कम अहमियत दी जा रही   
    शायद एक वर्ल्ड कप जीत ले तो पहले जैसी इज्जत वापस आ जाएगी  
14-आपकी पहली गाडी और पहला मोबाइल कौन सा था 
      मेरी पहली गाडी अविएटर थी जो मुझे grad 2nd year में मिली थी 
      मेरा पहला मोबाइल मोटोरोला का था जो मुझे 12th exam के बाद मिला था 
15-आपकी बेस्ट फ्रेंड कौन है 
     किसी एक का नाम नहीं ले सकती 
16-क्या आपने आपकी जिदगी में कुछ ऐसा किया जिसका आपको अफ़सोस हो 
     अभी तक तो नहीं 
17-क्या आपने अपनी जिंदगी में कुछ ऐसा किया जिसका आपको गर्व हो 
      कुछ खास नहीं लेकिन अक्सर जरूरत मंदों की मदद कर देती हू,ब्लड डोनेट करती हू 
18-क्या आप भगवन में  आस्था रखती है 
      ह़ा कह सकते है कि कोई सक्ती है लेकिन जरूरी नहीं की भगवान्  हो 
19-अगर आपको भगवान से तीन चीजे मंगनी हो तो आप क्या मांगेंगी 
     आतंकवाद ख़त्म हो,दश से गरीबी दूर हो,मेरा सरे सपने पूरे हो 
20-क्या आपका कोई और नाम भी है 
     ह़ा घर पर सब मुझे बुचिया कहते है इसका मतलब है भोजपुरी में छोटी बच्ची 
21-आप कैसी ड्रेस पहनना पसंद करती है 
     कुछ भी हो आरामदायक  होना चाहिये
22-आपकी favorate फिल्म कौन सी है 
      लक्ष्य 
23-आपका favorate गाना कौन सा है 
     लक्ष्य टाइटल सॉंग
24-जिंदगी में पैसा कितना मायने रखता है 
     सायद काफी इतना जरूर होना चाहिये की उससे दूसरो  की मदद की जा सके 
25-आपको अगर पैसे और इमान में से किसी एक को चुनना पड़े तो आप किसे चुनेंगी 
     वैसे इमान बिकता नहीं लेकिन मै इमान को ही चुनुंगी 
26-EGO को आप कैसे बयां  करेंगी 
     जब कोई ऐसी बात की जाये  जिससे आपके स्वाभिमान को ठेस पहुचे 
27-क्या आपमें EGO है 
     शायद हा 
28-हमारे देश में फैले भ्रस्ताचार के बारे में आपकी क्या राए है 
      भ्रस्ताचार  ऊपर से नीचे  कि ओर  फैलता है इसके खिलाफ सख्ती से कानून पारित होना 
   चाहिये 
29-क्या आप घरेलु काम करती है 
     हा बहुत ज्यादा 
30-अपने परेंट्स के बारे में कुछ बताये 
     क्या बताऊ  काफी सुलझे हुए है 
31-क्या आप पर किसी तरह कि पाबंधी है 
     हा कह सकते है समय से घर पहुचने की 
32-क्या आपको अपनी जिंदगी का वो अनदेखा अन्जाना सख्श  मिल गया है 
     शायद हा लेकिन अभी सपनो में है
33-आपका जीवन साथी कैसा होना चाहिये 
     अभी सोचा नहीं 
34-शादी के बारे में  क्या सोचा
     कुछ बन जाऊ उसके बाद 
35-शादी में विदाई के बारे में क्या कहेंगी 
     अच्छा एहसास है एक जगह से दूसरी जगह जाना 
36-आप आज की युवा पीढ़ी  से कुछ कहना चाहेंगी खास तौर से लडको को 
     कैरीअर पर ध्यान  दे बाकि सब खुद ही मिल जायेगा 
37-आज कल डेली सोप कुछ ज्यादा ही चल गए  है आप देखती है 
     मै सिर्फ CID देखती हु बाकि में मेरा कोई इंटेरेस्ट नहीं 
38-आपको क्या लगता है की गारे होने वाली क्रीम वाकई में फायेदेमंद  है और क्या आप इसका 
     इस्तेमाल करती है 
     मै कोई क्रीम नहीं लगाती सब बकवास है 
39-आप कौन सा शम्पू लगाती है 
     डव 
40-आप कौन सा साबुन लगाती है
     कोई खास नहीं वैसे मै रोज नहाती ही नहीं हु 
41-बॉलीवुड में बादशाह बड़ा या सहंसाह 
     कोई खास दिलचस्पी नहीं 
42-आपने अभी तक कुछ ऐसा किया है जो आपने अपने परेंट्स से नहीं बताया 
     कुछ नहीं सब कह देती हु 
43-लिविव के पत्रकारिता विभाग में कोई कमी नजर आई 
     हा यहाँ पर एक लाइब्ररी होनी चाहिये
44-लाइब्ररी  होने से कोई फ़ायदा होगा 
      शायद हो भी सकता है
45-मुकुल सर के बारे में कुछ कहना चाहेंगी
     हा अभी तक के मेरे फेवोरेटे टीचर