बैचलर्स लाइफ यानी फुल मस्ती,मजा और जश्न .
अगर बैचलर्स लाइफ को एक लाइन में बयां करे तो कह सकते है की "ठंडी में भी गर्मी का एहसास ,वो ठंडी में गर्मी का लिबाज "मतलब परिस्तिथिया कैसी भी हो मस्त रहना ही इनकी पहचान है वैसे तो हमारी जिंदगी में कई पड़ाव आते है और हम उनको पार करते हुए और उससे कुछ सीखते हुए आगे बढ़ जाते है लेकिन जिंदगी के उन आखरी लम्हों में जब हम जिंदगी को पीछे मुड़कर देखते है तो बैचलर्स लाइफ चेहरे पैर एक हसीन मुस्कान ले आती है और हम उन अतीत की सुहानी यादो में खो जाते है
फिलहाल मै खुशनसीब हू कि मै अपनी जिंदगी के उस पड़ाव पर हू जिसकी यादो को मै जिंदगी भर नहीं भूल पाउँगा मै इस वक़्त एक बैचलर हू और बैचलर्स लाइफ का लुफ्त उठा रहा हू इस लाइफ में मस्ती और रामांच के के साथ-साथ कामयाबी और कुछ कर गुजरने का जज्बा भी होता है जो जिंदगी को एक नई दिशा देता है
बैचलर्स लाइफ यानि कॉलेज लाइफ,दोस्तों के साथ गप्पे,रोज की चाये फिर पैसे देने की कंजूसी ,हर मुश्किल में साथ खड़े होने को तैयार,और रोज कि बकवास सब याद आते है जब हम अपनी जिंदगी में इतना खो जाते है कि खुद के लिए भी समय नहीं निकाल पाते इस बैचलर्स लाइफ में सभी की जिंदगी में जो कॉमन फैक्टर होता है चाहे लड़का हो या लड़की वो है प्यार,इश्क और मोहोब्बत सभी इसको जीना चाहते है लेकिन कुछ परेशां है साथी होने से तो कुछ परेशां है अपने अधूरेपन से फिरभी हसते रहना और खुसी से जीना ही इन बैचलर्स की पहचान है हर बैचलर पर ये दो लाइने बखूबी बैठती है जिन्हें वो गुनगुनाया करते है -
"जिंदगी में एक रहगुजर की तलाश है
बस तेरे दीदार की आस है
बाकि सब कुछ मेरे पास है"
वैसे पहले और आज के बैचलर्स में काफी कुछ बदल गया है मॉल,पब्स,डिशको और मल्टीप्लेक्स ने लोगो का नजरिया ही बदल दिया है बैचलर्स के लिए ये किसी जन्नत से कम नहीं है जहा वो मस्ती के साथ-साथ जिंदगी का लुफ्त भी उठाते है और ये पल उनको जिंदगी की जदोजहद से दूर कर एक नया जोश भरने में मदद करते है
वैसे इंसान जिदगी में जो कुछ भी करता है वो पेट के लिए करता है और जीने के लिए जिस चीज की सबसे ज्यादा जरूरत होती है वो है खाना और इन बैचलर्स ने समय के साथ साथ अपने स्वाद को भी बदला है वो चाहे बर्गर हो या पीजा या फिर चोकलेट्स ये बैचलर्स की पहली पसंद बन गए है आज ढाबो और होटलों की जगह मक्डोनेल्स औए kfc ने ले ली है आज के बैचलर्स में एक प्रचलन बहुत खास हो गया है वो अग्निपथ के अमिताब बच्चन के उस डायलाग को अपनी जिंदगी में उतार रहे है की" इस दुनिया में जिन्दा रहने के लिए बिगड़ा हुआ होना बहुत जरूरी है "सही भी है वरना ये दुनिया जीने नहीं देगी खाने नहीं देगी पीने नहीं देगी आज के बैचलर्स अपने फैसले खुद करते है और अपनी जिदगी को भी अपने तरीके से जीना सीख गए है
bhai बात तो सही है लेकिन इस लाइफ में रोज़ प्लान बदलते हैं और रोज़ एक नया प्लान हमारे मन आता है की चलो कुछ बन के दिखायेंगे लेकिन सोचते ही हैं करने के वक़्त फिर से मस्ती शुरू हो जाती है |
ReplyDeleteऔर रही प्यार इश्क और मोहब्बत की बात तो इसके बिना ज़िन्दगी की कल्पना करना भी बेकार है
isme abhi bahot kuch aur bhi joda ja sakta tha...but its still nice one archit
ReplyDeleteACHA LIKHA HAI BT KUCH OR BHI ADD KAR SAKTE THE.
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