Tuesday, March 8, 2011

एक और महिला दिवस लेकिन किसके लिए

8 मार्च एक ऐसा दिन जो महिलाओ को और ज्यादा खास होने का एहसास करता है 8 मार्च 1910 को अंतररास्ट्रीय महिला दिवस की सुरवात हुई जिसका मकसद समाज में महिलाओ को खास स्थान देना था वैसे   100 साल हो गए इस दिन को मानते हुए इन बीते 100 सालो  में बहुत कुछ बदल गया आज महिलाये हर छेत्र में  अपना कौशल दिखा रही है देश हो या विदेश हर जगह कामयाब है खेल हो या शिक्षा राजनीत हो या कॉर्पोरेट जगत हर जगह कामयाब है महिलाये, अगर बीते कुछ सालो  में कामयाब महिलाओ की बात करे तो कुछ  नाम जहन में आते है जैसे इन्द्रा गाँधी,मदर टेरेसा,सोनिया गाँधी,मायावती,सुषमा स्वराज,उमा भारती,वसुंधरा  राजे,चन्द्रा कोचर,इंदिरा नुई ,सावित्री जिंदल,लता मंगेशकर,सानिया मिर्ज़ा,सानिया नेहवाल,बचेंद्री पाल आदि है यहाँ तक की फ़ोर्ब्स की मैगजीन के अनुसार विश्व की सबसे सक्तिशाली महिलाओ में इंदिरा नुई और सोनिया गाँधी भी है 
कहते है की हर कामयाब आदमी के पीछे एक औरत का हाँथ होता है और ये सही भी है अगर हम बात करे शाहरुख  खान,आमिर खान,अनिल अम्बानी ,मुकेश अम्बानी,सचिन तेंदुलकर  की तो इनकी कामयाबी के  पीछे भी महिलाओ की अहम् भूमिका रही है जो हर अच्छे बुरे  वक़्त  में इनका साथ देती है 
ये तो महिलाओ  की कामयाबी का एक पहलू है जहा खुशिया ही खुशिया है लेकिन महिलाओ का एक तबका अभी भी तड़प,चीख और डर के साए में जी रहा  है  आज देश में महिलाये बिल्कुल भी  सुरक्षित नहीं है 
NCRB(NATIONAL CRIME RECORD BEREAU) के अनुसार देश में हर 25MIN में एक महिला के साथ बलात्कार होता है भारत में बलात्कार के मामलो में टॉप 7 राज्य मध्य  प्रदेश,वेस्ट बंगाल ,उत्तर प्रदेश,महाराष्ट्र,असम,राजेस्थानऔर बिहार है अगर आंकड़ो पर नजर डाले तो 2004 में 15,847 ,2005 में 18,233 ,2006 में 18,359 ,2007 में 20,737 ,2008 में 20,000 ,2009 में 21,397 बलात्कार के मामले पुलिस तक पहुचे जिनमे केवल 9 प्रतिशत केसेस में ही गुनेहगार को सजा मिल पाई सबसे चौकाने वाली बात यह थी की इन मामलो में 11 .5 प्रतिशत  केसेस 15 साल से कम उम्र की किशोरियों से जुड़े है  ये तो वो आंकड़े है जो अदालत तक पहुचे बाकि तो शायद डर और इज्जत की भेंट चढ़ जाते है 
      हम हमेशा ही अखबार पढ़ते है और बलात्कार  की खबरे भी रोज ही छपती है लेकिन हम चुप होकर सिर्फ पन्ना पलट देते है आज कविता हो या रुचिका ,दिव्या हो या शीलू या फिर प्रियदर्शनी जिनकी आप बीती को मीडिया का साथ मिला और बड़े बड़े नेता और समाज के ठेकेदार इन्हें सांत्वना देने पहुच गए लेकिन कुछ पल के बाद फिर सब कुछ सन्नाटे में बदल  गया 
आज महिला दिवस है और कल के अखबार में फिर एक खबर छपने वाली है कि दिल्ली   में राधिका तंवर नाम की लड़की की दिन दहाड़े गोली मारकर  हत्या  हो गई  जिस  राज्य की मुख्य  मंत्री  एक महिला हो  वहा  ही महिलाये  सुरक्षित  नहीं  है तो बाकि का तो भगवान   ही  मालिक  है अगर बात करे  उत्तर प्रदेश की तो दहेज़  उत्पीडन  की वजह  से सबसे ज्यादा  मौते  यही  हुई  है और शीलू के साथ जो हुआ  वो तो जग  जाहिर  है लेकिन इस  बार  शीलू को दरिंदगी  का शिकार  खुद  मुख्यमंत्री  के ही MLA(PURRUSHOTAM DVIVEDI) ने बनाया जिस राज्य में नेता ही राक्षस हो वहा के हाल कि कल्पना  ही कि जा सकती है 

   

7 comments:

  1. badhiya....bas thoda one way thought process described h..

    ReplyDelete
  2. दोस्त तथ्य अच्छे हैं पर थोडा भाषण हो गया है ऐसा लगता है शैली को बदलें लेकिन सोच अच्छी है आभार

    ReplyDelete
  3. प्रेरक प्रस्तुति

    ReplyDelete
  4. इस नए सुंदर से चिट्ठे के साथ हिंदी ब्‍लॉग जगत में आपका स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

    ReplyDelete
  5. बहुत बढ़िया लेख एक गंभीर प्रश्न उठाया है आपने ....

    ReplyDelete
  6. बहुत सुंदर लेख लिखा आपने....

    ReplyDelete
  7. मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.....

    ReplyDelete